माईल स्टोन

अक्सर ठिठक जाते हैं कदम
उस मोड़ पर आज भी
जहाँ मंजिल ना थी
थे दो रास्ते
जो एक दूसरे के
बिलकुल विपरीत
दिशा को जाते थे
शायद यहीं तक का
साथ था हमारा
तुम संग

एक दिशा चुनी तुमने
और उस ओर बढ़ते गए
सालों बाद
सब कुछ बदल गया
कितनी हरियाली थी यहाँ
यहीं पर होता था मिलना
हमारा तुम्हारा
सभी रितु में
यहाँ खड़े वृक्ष
हमें देते थे अपनी मीठी छाया
अब तो सब विरान नज़र आता है
ना तुम ना तुम्हारी परछाईं
ना वृक्ष ना छाया
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बस बचा है तो सिर्फ
धूल का गुबार
और उसमें से झांकता
वो माईल स्टोन
जो तब भी यहीं खड़ा था
और आज भी
शायद यही एकमात्र गवाह है
हमारे मिलने और बिछड़ने का
धुंधली आँखों से भी
नज़र आ रहा है
यह माईल स्टोन
दोनों दिशाओं को दर्शाता।

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By Admin