जब से मिले हो तुम – Written by Vimmi Malhotra

जब से मिले हो तुम

जब से मिले हो तुम
मैं खोई रहती हूँ
कुछ अनकहे और
उलझे से कुछ
सवालों के घेरे में
जिनमें उलझना तो है आसान
लेकिन जिन्हें सुलझाना है
बहुत ही कठिन
आखिर तुम्हारी इन आँखों कि
चमक ने ही तो
जन्म दिये हैं
ना जाने कितने ही सवालों को

क्या है वास्तव में
तुम्हारी आँखों में
जो दिखती तो हैं सागर सी विशाल
लेकिन एक नदी सी
ठहरी हुई चमक बिजली सी
काली घटा सी कभी
बरसने को रहती हैं आतुर
डूब जाना चाहती हूँ
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तुम्हारी इन झील सी
शांत और गहरी आँखों में
क्योंकि अब इनमें डूबकर ही
ढूँढ पाऊँ अपने सवालों के जवाब
जो बहुत कठिन तो हैं
लेकिन ये सवाल
तुम्हारी आँखों से शुरू
और उनपर ही
खत्म हो जाते हैं।

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