——— आकाश गोखले ———
भक्तो में भक्त श्री हनुमान जी की महिमा का कोई व्याख्यान नहीं कर सकता, पर कलयुग में हनुमान जी का सुमिरन करने से बड़े से बड़ा कष्ट कट जाता है, मनुष्य को तमाम शांति प्राप्त होती है,
रामायण के अनुसार एक बार माता सीता सिंगार कर रही थी, अचानक हनुमान जी उनके के कक्ष में प्रविष्ट हो गए | माता पूरा सिंगार करने के उपरान्त मांग में सिन्दूर लगाने ही जा रही थी, की हनुमान जी पूछ ही बैठे माता, इसको लगाने से क्या होता है? माता ने कहा कि यह सिंदूर है। इसे लगाने से तुम्हारे प्रभु प्रसन्न रहते हैं और उनकी उम्र बढ़ती है। उनकी बात सुनने के पश्चात हनुमान जी ने विचार करना प्रारंभ किया कि माता थोड़ा सा सिंदूर लगाती हैं तो प्रभु इतना खुश होते हैं, और दीर्घायु होते हैं। मैं ज्यादा लगाया करूं तो प्रभु और प्रसन्न होंगे, साथ में अमर भी हो जाएंगे। यही विचार कर सिंदूर का डब्बा उठा कर सारा सिंदूर बदन पर लगा लिया। तभी से उनको सिंदूर इतना प्रिय है अर्थात बिना सिंदूर हनुमान जी की पूजा अधूरी समझी जाती है। इसीलिए उनकी प्रतिमा पर सिंदूर का लेप लगाया जाता है। श्री राम चन्द्र ने यह देख हनुमान से प्रश्र किया-हनुमान यह क्या है? पूछते ही हनुमान ने श्री राम को पूरी बात बता दी | यह सुन श्री राम बहुत प्रसन्न हुए | और भगवान ने उन्हें आशीष दिया, तुम्हारे जैसा न मेरा भक्त हुआ है और न होगा।
श्री राम के परम भक्त श्री हनुमान जी की महिमा की व्याख्या करना एक हीरे को चमकदार बनाने की सोचने जैसा है| क्योंकि सब कुछ देने वाले प्रभु की आराधना मात्र से सुख-शांति प्राप्त होती है जिसका प्रमाण उनके चालीसा के प्रारंभ में ही बता दिया गया है। यह भूत प्रेत से बचाने वाले अतिशक्तिशाली देव है| और श्री राम का गुणगान करने से ये बहुत प्रसन्न होते है|